Psycho Saiyan Horror and Thriller Hindi Story Part 2 में कहानी आगे बढ़ती है, कहानी और भी रोमांच और रहस्य से घिर जाती है। आप इस कहानी को horror story in hindi या thriller story in hindi भी कह सकते हैं, क्यूंकि आपको दोनो का अहसाह हो जायेगा। Happy Reading
साइको सइयाँ (Psycho Saiyan) Horror and Thriller Hindi Story Part – 2
Part – 1 Psycho Saiyan Horror and Thriller Hindi Story
फिर वो उस सूटकेस को खोलता है और उसके अंदर से एक कपड़ा निकालकर मेरे पूरे शरीर को साफ करता है और मेरे शरीर पर परफ्यूम छिड़कता है और कहता है। ” तेरा शुक्रिया अदा कैसे करूं। तू मेरे लिए नोट छापने की मशीन है |
छः महीने हो गए बस कुछ महीने और मेरे दोस्त फिर मैं तुम्हें चैन से मरने दूंगा।
फिर वो मेरे हाथ पर एक इंजेक्शन लगता है। मैं देखता हूं की मेरे हाथों पर इंजेक्शन के बहुत सारे निशान लगे हैं। वो कर क्या रहा था कुछ समझ नहीं आ रहा था।
कि अचानक मुझे कुछ होता है। शरीर में अजीब सी बेचेंगी थी अचानक मेरी आंखें फिर से बंद होती है और आंखों के सामने फिर से अंधेरा छा जाता है।
अब बस कानों में एक आवाज आ रही थी और वो आवाज़ थी मिट्टी की जो वो आदमी मेरे ताबूत के ऊपर उड़ेल रहा था।
पर वो है कौन! और सवाल बढ़ते जा रहें थे पर जवाबों की जगह बिल्कुल खाली थी।|
मेरी आंखें कुछ देर बाद फिर से खुलती हैं और मेरी आत्मा मेरे शरीर से बाहर आती है। अब मुझे कोई चीज नहीं रोक सकती थी मैं किसी भी चीज या जीव के आर पार जा सकता था और अब मैं ये जानना चाहता हूं की आखिरकार मेरे साथ हुआ क्या था। वो आदमी कौन था इन सब सवालों के जवाब मुझे एक ही जगह मिल सकते थे और वो था मेरा घर। मैं अपने घर की तलाश में निकल पड़ता हूं।
पहले मैं उस जंगल को पार करके शहर तक पहुंचता हूं और फिर अपने घर के पास। इस सफर में टाईम बहुत लगता है। आप ये मत सोचना की फिल्म की तरह मेरी आत्म झट से अपनी मंजिल तक पहुंच गई होगी। नहीं ऐसा नहीं हुआ।
घर पर आकर में देखता हूं की घर पर लोगों की चहल पहल थी मैं अंदर जाता हूं और देखता हूं की कविता के सिर पर चोट लगी है और वो एक जगह बैठी है और लोग उससे उसकी तबीयत के बारे में पूछ रहे थे।
वो सबको ये कह रही थी की वो ठीक है बस मामूली सी चोट है।
मैं कविता को अपने सामने पाकर उसके पास जाने से खुद को रोक नहीं पाता और उसके पास जाकर उसे उसके नाम से पुकारता हूं। लेकिन उसे मेरे वहां होने का कोई अहसास नहीं होता। क्योंकि किस्मत हमारे साथ कोई ऐसा खेल खेल रही थी जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता था।
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तभी वहां मेरा छोटा भाई मेरी मां के साथ आता है और कविता से कहता है आप जानती हो ना भाभी भाई को लापता हुए छः महीने हो चुके हैं। पुलिस को अबतक उनका कोई सुराग नहीं लगा है और हम ये भी नहीं जानते की हमारा दुश्मन कौन है। आपका अकेले बाहर जाना खतरे से खाली नहीं है।
छः महीने ! इसका मतलब जिस रात मुझ पर हमला हुआ था वो बात छः महीने पुरानी है।
मुझे लापता हुए छः महिने हो चुके हैं पर मुझे मारा किसने। मेरे भाई अभिषेक की बातों से पता चल रहा था की मुजरिम अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।
मेरे साथ साथ मेरी फेमिली को भी उससे खतरा था। मैं खुद को बचा नहीं पाया पर मेरे परिवार को मुझे बचाना होगा।
मन में गुस्सा था बदले की भावना थी पर साथ ही इस बात की खुशी भी थी की उस रात कविता को कुछ नहीं हुआ।
तभी मेरे पिताजी पुलिस के साथ घर पर आते हैं और पुलिस कविता का स्टेटमेंट लेती है।
मैं घर के बाहर आता हूं और अपनी पुरी ताकत से चिल्लाता हूं और बिना किसी मंजिल के चलता जाता हूं। कुछ देर बाद एक पार्क के बेंच पर जाकर बैठ जाता हूं । वहां शांति थी जो मेरे गुस्से को कम कर रही थी।
तभी कोई मेरे बेंच पर आकर बैठता है। मैं उसकी ओर नहीं देखता पर वो किसी को कहता है। कितनी शांति है ना यहां पर।
लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आता। तो मैं उस ओर देखता हूं। मेरे बेंच पर और कोई नही बल्कि संजय था। कविता का बचपन का दोस्त और वो मेरी तरफ ही देख रहा था पर क्यूं क्या वो मुझसे बात कर रहा था।
मैं भी उसकी तरफ ही देखता रहता हूं। कुछ देर बाद वो फिर से मुस्कुराकर कहता है।” क्या तुम मुझे भूल चुके हो।”
ये सुनकर मैं उसकी और अचंभे से देखता हूं। ये तो मुझे से ही बातें कर रहा है।
ये सुनकर मैं उससे कहता हूं। “क्या तुम मुझे देख सकते हो।”
वो कहता है। “हां! क्या तुम भी। “
“तुम भी से क्या मतलब है तुम्हारा।”
वो हंसते हुए कहता है।” मैं भी तुम्हारी तरह एक आत्मा हूं अजय हम दोनों मर चुके।
ये सुनकर में चौंक जाता हूं और उसे कहता हूं।” पर तुम! ये कैसे हुआ ।”
ये सुनकर संजय एक लम्बी सांस लेता है और कहता है।” तुम्हें याद है हम छः महीने पहले हम एक शादी में मिलें थे।”
हां! मैं उसे जवाब देता हूं।
मैं शादी अटेंड करने के बाद फोन पर बात करता हुआ अपनी गाड़ी के पास जाता हूं और गाड़ी में बैठकर गाड़ी चलाने ही वाला होता हूं की कोई मेरी गाड़ी की विंडो को खटखटाता है। मैं शीशे को नीचे करता हूं की अचानक ही वो मुझपर एक तेजधार हथियार से हमला करता है और उस हथियार को मेरे सिने में गाड़ देता है, मैं कुछ मिनटों में ही दम तोड़ देता हूं।
“क्या तुमने देखा वो कौन था। ” मेंने संजय से पूछा।
“नहीं! वहां बहुत अंधेरा था मैं उसे नहीं देख पाया।” संजय मुझे जवाब देता है।
मैं संजय को कहता हूं।” तुम्हें ये जानकर हैरानी होगी की मेरा खून भी उसी रात हुआ था।
” क्या!” यह सुनकर वो चौंक पड़ा।
हां संजय। तुम्हें कुछ अजीब नहीं लगता हम दोनों का एक ही दिन मरना।
” मैं नहीं जानता था की तुम भी उसी रात मरे हो या मारे गए हो वो तो कुछ दिनों पहले मुझे कविता दिखी तो मैं उसके पीछे-पीछे तुम्हारे घर तक गया और जब मुझे तुम्हारे फोटो पर हार देखकर ये पत्ता चला की तुम भी मर चुके हो। लेकिन मैं ये नहीं जानता था की तुम भी उसी रात मरे हो। क्या तुम जानते हो तुम्हें किसने मारा |
“नहीं संजय! लेकिन मुझे पता करना है और उसे सजा दिलानी है।”
मैं छः महीने से ये पता करने की कोशिश कर रहा हूं की मुझे किसने मारा पर तुम तो जानते ही हो हमें ना कोई सुन सकता है और ना कोई देख सकता है। तो मैंने इस बारे में सोचना ही छोड़ दिया। अब पता नहीं मेरी आत्मा भटक क्यूं रही है।
‘शायद तुम्हें इंसाफ चाहिए मेरी तरह।”
‘ पर कैसे अजय हम कुछ नहीं कर सकते और तुम अबतक कहा थे। तुम मेरे साथ ही मरे थे ना।”
हां! जब मेरी आंखें खुली छः महीने गुजर चुके थे।
‘अजीब है पर हम दोनों ही इस दुनिया से वाकिफ नहीं हैं।”
तभी हमारे पास से गुजर रहा एक बच्चा जिसकी आंखों पर काला चश्मा और एक हाथ मे लकड़ी और दुसरे में एक कटोरा था और उसमें कुछ चिल्लर |
वो हमारे पास रूकता है और कहता है। भगवान के नाम पर कुछ देदो शाहब |
ये अजीब था। मैं और संजय एक दुसरे की और देख रहे थे।
हम कुछ कहते उससे पहले ही वो लड़का ” कोई बात नहीं साहब ” कहकर आगे बढ़ जाता है।
मैं उसे आगे जाता देख आवाज देता हूं। रूको ! और मैं और संजय उसके कदमों की और देखते हैं।
उसके कदम अचानक रुक जाते हैं।
वो बच्चा रूकता है और मुड़कर कहता है …. हां साहब आपने कुछ कहा।
मैंने और संजय ने एक दूसरे की और देखा क्यूंकि हमें मंजिल तक पहुंचने के लिए सारथी मिल चुका था और वो हमारे सामने खड़ा था।
मैंने उसे कहा बच्चे तुम हमें देख सकते हो।
तो उसने हंसकर जवाब दिया…… क्या मजाक कर रहे हो साहब एक अंधे से देखने की बात कर रहे हो।
तो तुम हमें सुन सकते हो।
तो उसने फिर कहा
क्या बात है साहब आप अजीब बातें क्यूं कर रहे हो हां में आपको सुन सकता हूं, आप कोई भूत प्रेत थोड़ी है जो किसी को दिखाई या सुनाई नहीं दे रहे।
ये सुनकर संजय उसे कुछ कहने के लिए बोलने ही वाला था की मैं उसका हाथ पकड़ता हूं और उसे बोलने से रोक लेता हूं शायद संजय उसे ये बताने वाला था कि हम दोनों आत्मा है।
फिर मैं उसे कहता हूं कि …. बेटा तुम हमारा एक काम करोगे।
वो कुछ देर सोचता है और कहता है …… मेरी आंखें नहीं है मैं कुछ काम का नहीं हूं बस भीख मांगकर अपना पेट भरता हूं
. पर आप मुझसे कोई काम करना चाहते हो…. तो इसका मतलब वो काम बस में ही कर सकता हूं …. है ना।
ये सुनकर संजय उसे कहता है.. हां कुछ ऐसा ही समझ लो।
$ पैसे लगेंगे साहब।
पैसे…. हां कोई दिक्कत नहीं हम तुम्हें पैसे दिलवा देंगे।
‘तो ठीक है साहब काम बोलों…. हां एक बात और साहब मैं ग़लत काम नहीं करूंगा कहीं आप मुझसे कोई नसीले पदार्थ का काम तो नहीं करवाना चाहते हो ना।
नहीं ऐसा कोई काम नहीं…. में उसे ये कहकर दिलासा दिलाता हूं।
और उसे कहता हूं तुम कुछ देर यहीं बेठो हम आपस में कुछ बात करना चाहते हैं।
फिर मैं और संजय उससे कुछ दूर जाते हैं और आपस में बातें करते हैं…. संजय मुझसे कहता है ….. तुमने मुझे रोक क्यूं दिया हमें इसे बताना होगा की हम दोनों आत्मा है।
” नहीं संजय हम इसे ये नहीं बता सकते, देखो इसे, ये बच्चा है और अंधा भी जब हम इसे ये बताएंगे की हम दोनों आत्मा है तो ये डर सकता है और अगर इसने हमारी मदद नहीं की तो तुम जानते हो हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है हम ऐसे ही भटकते रहेंगे।
तो हमें सोच समझ कर काम करना होगा।
‘पर हमें करना क्या है अजय |
हमें अपने घर वालों तक अपनी बात पहुंचानी होगी। इस बच्चे को हमें अपने घर वालों के पास लेकर जाना होगा और हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा की इसे ये भी पता न चले की हम मर चुके हैं।
मुझे मेरे घर वालों की मदद करनी है और उन्हें ये बताना है की मेरी लाश जंगल में है और शायद वो लोग उस आदमी को पकड़ कर ये पता लगा सके की असली मुजरिम वहीं है या कोई और।
” पर मेरा तो अंतिम संस्कार हो चुका है …. मुझे जब होश आया तब मुझे मरे बहुत वक्त हो चुका था …… पुलिस केश भी नहीं हुआ था जो अजीब था ।
कहीं . . मेरे परिवार को भी किसी ने धमकाया तो नहीं .. ओ गॉड मेंने ये क्यूं नहीं सोचा और मैं पागल मरने के बाद कभी भी अपने घर नहीं गया बस एक दिन गया था और जब मैंने मेरी यादों में पारुल को रोते हुए देखा तो उसके बाद मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं हुई की मैं पारुल को देख पाऊं ।
पारुल कौन है …… मैंने संजय से पूछा ।
उसने बताया की पारुल उसकी गर्लफ्रेंड है जो उसके साथ ही रहती थी उनकी शादी तो नहीं हुई थी पर वो दोनों संजय के घर में लिविंग में ही रहते थे ।
तुम्हारी फेमिली में और कौन है ….. मैंने संजय से फिर पूछा।
उसने जवाब दिया…. बस एक छोटा भाई विकास जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। इसके इलावा और कोई नहीं है मेरी फेमिली में। विकास को तो कविता भी जानती है।
“ये तुमने अच्छा नहीं किया राहुल…..।
पर तुम चिंता मत करो हमारा मरकर भी… इस जहां में होना इस बात का सबूत है कि हम हमारे कातिल को सजा दिला सके।
” तो हमें अब करना क्या है अजय।
‘ सबसे पहले हमें तुम्हारे घर पर जाना होगा संजय।
मैंने ये बात संजय को कहीं ही थी की अचानक मुझे कुछ अजीब महसूस होने लगा और अचानक मुझे ऐसा लगने लगा की कोई मुझे खीच रहा हो . में अचानक संजय से दूर जाने लगता हूं…… ऐसा होते देख संजय घबराते हुए मुझे पकड़कर कहता है …… ये क्या हो रहा अजय |
‘मुझे नहीं पता….. ये पहले भी हुआ है…… में अचानक मेरे शरीर में पहुंच जाता हूं… मुझे पकड़ कर रखो।
में तुम्हें रोक नहीं पा रहा अजय …. मेरे हाथ फिसल रहे हैं।
मैंने देखा कि संजय पूरी ताकत के साथ भी मुझे रोकने में नाकाम था…. तो मैं उसे कहता हूं… संजय मुझे छोड़ दो अगर किस्मत में हुआ तो हम फिर मिलेंगे… अगर नहीं तो तुम्हें इस बच्चे की मदद से हमारा अधूरा काम पूरा करना होगा।
ये सुनकर संजय अपनी गर्दन हिलाकर हां का जवाब देता है और मुझे छोड़ देता है
और मैं बहुत तेज स्पीड से अपने शरीर की और खिंचा चला जाता हूं और अपने शरीर के अंदर समा जाता हूं।
पर जब मैं मेरे शरीर के पास पहुंचता हूं तो देखता हूं की…. मेरे शरीर के पास वहीं आदमी बैठा था जिसे मैंने पहले देखा था और वो मेरे हाथ पर इंजेक्शन लगा रहा था ।
मेरी कहानी आगे तो बढ़ रही थी….. पर कहानी के पन्ने पीछे की और पलटें जा रहे थे… लेकिन मैं भी तैयार हूं … अपनी ही अनसुलझी पहेली को समझने के लिए ।
मेरी आंखों के सामने फिर से अंधेरा छा जाता है और मैं भी धीरे धीरे गहरी नींद में सोने लगता हूं…… पर क्या ये मेरा अंत है …. में जानता तो नही हूं…..पर मैं अपनी पूरी ताकत के साथ लडूंगा…. ताकी में अपनी कहानी को पूरा कर सकूं ।
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