Ramazan 2023: हरिकृष्ण के घर इफ्तारी लाते हैं फारुख, 46 साल से ‘अलविदा जुमा’ पर यहां दिखती गंगा-जमुनी तहजीब
Eid Mubarak Images
उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में गंगा जमुनी तहजीब की कई मिसालें देखने को मिल चुकी हैं. यहां हिंदू मोहर्रम में जाकर काम करते हैं और मुस्लिम समुदाय के लोग दशहरा और अन्य कार्यक्रमों में आकर हिंदुओं का हाथ बंटाते हैं. इस तरह की तस्वीर शायद ही आपको राज्य के किसी और जिले में देखने को मिले. ऐसी ही मिसाल देने वाले अल्मोड़ा निवासी एक व्यक्ति हैं, जो पिछले 46 साल से अलविदा का रोजा रखते आ रहे हैं. इनका नाम है हरिकृष्ण खत्री.
न्यूज़ 18 लोकल से खास बातचीत में खत्री ने बताया वह 46 साल से अलविदा का रोजा रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैसे तो वह हिंदू परिवार में जन्मे हैं, पर बचपन से ही ऐसे समाज में पले बढ़े, जहां हिंदू–मुस्लिम एक साथ रहते थे. खत्री आगे बताते हैं कि वह 14 साल की उम्र से अलविदा का रोजा रखते आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि रमजान के महीने में 30 रोजे रखे जाते हैं. सबसे ज्यादा महत्व अलविदा के रोजे का होता है, जिस कारण से वह इसे रखते हैं. वह पूरी रवायत के साथ इस परंपरा को पिछले 46 साल से निभाते आ रहे हैं. शाम के वक्त लोग उन्हें इफ्तारी देने के लिए भी आते हैं. घर परिवार के लोग उन्हें काफी सपोर्ट करते हैं और उनका सपना है कि वह एक बार हज यात्रा भी करें.
स्थानीय निवासी फारुख कुरैशी ने बताया कि वह खत्री को कई साल से अलविदा का रोजा रखते हुए देख रहे हैं. वह शाम के वक्त उन्हें इफ्तारी भी देते हैं. इसके अलावा कई और लोग भी उन्हें इफ्तारी देने के लिए आते हैं. अल्मोड़ा जैसे शहर में भाईचारे का सबूत यहीं देखने को मिलता है और उनका मानना है कि रोजे रखने से कई रोग दूर होते हैं और अलविदा का रोजा एक पाक रोजा माना जाता है.
Source:- News18 हिंदी