लाइब्रेरी, जला दी गई या जल गई। पता नही, पर कहा जाता है कि अलेग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी, दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी। इतनी बडी, कि केवल किताबो की सूची ही, 192 खंडों में हुआ करती थी।
अलेक्जेंड्रिया की लाइब्रेरी लगभग 2,000 साल पहले पूरी तरह से नष्ट हो गई थी, जिसके पीछे कोई भौतिक निशान नहीं बचा था – लेकिन इसकी प्रारंभिक विद्वता और सांस्कृतिक अनुनाद अभी भी मौजूद है।
अलेग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी- जलाई या जल गई
४८ ईसा पूर्व , जुलियस सीज़र सत्ता के लिए अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी पॉम्पी के खिलाफ एक बड़ा युद्ध लड़ रहा था।

इस समय तक, रोमनों ने बड़े पैमाने पर मिस्र को नियंत्रित कर लिया था, हालांकि टॉलेमी के वंशज अभी भी शासन करते थे और अपने उत्तराधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। सीजर ने अपने शासन को मजबूत करने के लिए अलेक्जेंड्रिया शहर के लिए एक नाटक बनाने का फैसला किया और पोम्पियो को एक कर दिया।
फिर, सीज़र द्वारा प्रदर्शित सैन्य शक्ति पर आपत्ति जताते हुए, मिस्र के लोग भी उसके खिलाफ उठ खड़े हुए। रोमन शासक ने शहर की घेराबंदी की और तय किया कि गतिरोध को तोड़ने और बंदरगाह पर सैन्य नियंत्रण बनाए रखने का एक ही तरीका है – उसने समुंद्र किनारे खड़े किए गए अपने जहाजों के बेड़े को आग लगा दी।
कहते हैं, जब जूलियस सीजर नें यहां आक्रमण किया, तट की रक्षा कर रहे जहाजो पर अग्निबाण चलवाये। ये आग शहर में फैली इस आग से लाइब्रेरी खाक हो गई। यह पहली बार था जब किसी पुस्तकालय पर हमला किया गया था।
यह सब चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ था। जब सिकंदर महान उस रास्ते से गुजर रहा था जिसे अब हम मध्य पूर्व के रूप में जानते हैं। अपनी तलवार से मिस्र को जितने के बाद, उसने वहां एक महान शहर बनाने का फैसला किया।
सिकंदर के इरादे बहुत बड़े थे। लेकिन उन्हें अपने आगे के सैन्य प्रयासों को पूरा करने के लिए तट पर एक बंदरगाह की भी आवश्यकता थी, और अलेक्जेंड्रिया का तट इस काम लिए उपयुक्त था।
सिकंदर ने अपनी नई परियोजना को गति दी, और अपने लूट-पाट की राह पर चलता रहा। वह कभी भी एक भी इमारत बनते हुए नहीं देख पायेगा, क्यूंकि वह उस भव्य शहर में लौट आया जिसे उसकी मृत्यु के बाद ही उसके सम्मान में नामित किया गया था। और वो शहर था अलग्जेंड्रिया।
उसकी मृत्यु के बाद, सिकंदर का राज्य उसके तीन सेनापतियों के बीच विभाजित हो गया, जिनमें से सबसे प्रमुख ने अलेग्जेंड्रिया सहित मिस्र के क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। शासक टॉलेमी की वजह से अलेक्जेंड्रिया संस्कृति और ज्ञान का केंद्र बनने लगा।
सिकंदर की तमन्ना थी, अपने गुरु एरिस्टोटल को दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाकर दे।
लेकिन वो तमन्ना रह गयी, सिकन्दर चल बसा। टॉलमी ने ये बीड़ा उठाया। औऱ दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बना दी। समुद्र तट पर, एक गगनचुंबी लाइट हाउस बना, जो दुनिया के सात अजूबों में गिना गया।
लेकिन उसके पास ही तट पर बनी ये लाइब्रेरी, पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का लाइट हाउस थी।
टॉलमी को जुनून था, कि दुनिया की हर किताब, हर मैन्युस्क्रिप्ट की एक कॉपी उस लाइब्रेरी में हो। जहाज जो बंदरगाह पर आते, उन्हें किताबे लाने का आदेश था। उसकी प्रतिलिपि बनती, और जहाज पर लौटा दी जाती। ये शहर, समुद्र का चौराहा था।इस लिए हर संस्कृति की किताब और उसका ज्ञान वहां था।
टॉलमी और उसके वंशज, उस लाइब्रेरी में पढ़ने, शोध करने के लिए दुनिया भर से स्कॉलर्स बुलाते। मुफ्त रहना खाना और इज्जत देते। स्कॉलर के शोध भी लाइब्रेरी का हिस्सा बनते।
विज्ञान, गणित, भूगोल, नेविगेशन, कलाएं तमाम विषयो पर अन्वेषण के लिए अलेग्जेंड्रिया विश्व की राजधानी बन गया।
‘कहते हैं, जब जूलियस सीजर नें यहां आक्रमण किया, तट की रक्षा कर रहे जहाजो पर अग्निबाण चलवाये। ये आग शहर में फैली लाइब्रेरी खाक हो गई।मगर इस पर डाउट है। लाइब्रेरी का, स्कॉलर्स का विवरण सीजर के 500 साल बाद तक मिलता है।’
मगर यह लाइब्रेरी पांचवी शताब्दी आते आते, खत्म हो गयी। साथ ही अलेग्जेंड्रिया से ज्ञान का सूरज अस्त हो गया।
माना जाता है कि इस लाइब्रेरी की किताबो, ज्ञान, विज्ञान से डरे सहमे राजवंशों ने, और उस दौर के धार्मिक नेताओं ने इसे धीमी मौत दे दी, या जलवा दिया। यह कारण, अधिक सम्भव प्रतीत होता है।
हिट’लर से लेकर मा’ओ ने किताबो की होली जलवाई है, नया इतिहास गढ़ा, पुराना मिटाया है। चर्च और फतवा देने वाले आलिमो ने गैलीलियो, कोपरनिकस और सुकरात का क्या हाल किया, आप जानते हैं।
एलेक्जेंड्रिया के पराभव के बाद, यूरोप में पांचवी से लेकर 15 शताब्दी का काल, अंधकार युग कहा जाता है। इस युग मे कोई वैज्ञानिक, बौद्धिक प्रसार न हुआ। ज्ञान का एकमात्र स्रोत धर्म रहा। धर्मगुरुओं का वचन, विज्ञान था।
“यह किसी भी तरह से अस्तित्व में आने वाला पहला पुस्तकालय नहीं था,
लेकिन यह ज्ञान एकत्र करने के लिए पूरी तरह से व्यापक दृष्टिकोण अपनाने वाला पहला पुस्तकालय था”
अलेक्जेंड्रिया के पुस्तकालय के विनाश से जो खो गया वह अमूल्य है – पांडुलिपियों, इतिहास और ज्ञान का विशाल भंडार।
15 वीं शताब्दी के बाद पुनर्जागरण हुआ, तो मार्टिन लूथर, न्यूटन, डार्विन, आईंस्टीन हुए। औद्योगिक क्रांति और डिजिटल क्रांति हुई। नतीजतन मानवता आज तकनीक के शीर्ष पर है।
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