सरदारों पर बने 12 बजे वाले चुटकुले तो बहुत सुने होंगे आपने, पर क्या 12 बजे वाली बात की असली सचाई जानते है आप ? चलिए आप भी जान लीजिये।
सिखों का 12 बजे से क्या रिश्ता है- 12 बजे वाली असली कहानी जानकर सरदारों के लिए सिर झुक जायेगा आपका।
बात सत्रहवीं सदी के समय की है, जब नादिर शाह ने भारत पर हमला किया था। तो उसकी सेना ने दिल्ली में खूब लूट-मार, महिलाओं के साथ बलात्कार और नरसंहार किया।
इस नरसंहार में शाह की सेना ने 2000–2200 के करीब हिंदू–सिख लड़कियां और महिलाओं को बेचने के लिए बंदी बना लिया था।
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तो सिखों ने जरनैल जस्सा सिंह आहलूवालिया की अगवानी में लड़कियों और महिलाओं को छुड़ाने का मुश्किल और खतरनाक फैसला लिया था।
मुश्किल और खतरनाक इस लिए कि, नादिर शाह की सेना के सामने सिख सेना बहुत छोटी थी। तो वो सीधे सीधे उनके साथ टक्कर नहीं ले सकते थे।
तो उन्होंने गुरिल्ला युद्ध रणनीति के तहत, रात 12 बजे नादिर शाह की सो रही सेना पर हमला करने का फैसला लिया था।
जिसको देख कर मुगल सेना चौंक गई थी। इसमें काफी सिख सरदार जख्मी और शहीद भी हुए।
पर वो करीब करीब सभी 2000 मेहलाओंं को मुगल सेना से सुरक्षित छुड़वाने में सफल रहे।
तो इसके बाद भी सिख जरनैल रात 12 बजे ही ऐसे अभियानों को अंजाम देने लगे थे। जिस कारण मुगलों सेना में सरदारों को लेकर खौफ पैदा हो गया था।
वो कहते थे कि, सरदार आ जाएंगे,12 बज गए हैं, सावधान हो जाओ।
तो यह इतिहास की बड़ी और महत्वपूर्ण घटना थी।
पर इतिहासकारों ने नारी सम्मान की रक्षा केलिए सरदारों द्वारा किए गए इस बड़े कार्य को खास सथान नहीं दिया।
Source:- जनसत्ता
पर उल्टा, 12 बज गए, सरदारों पर जोक अवश्य बन गया था।
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हालांकि मैं हास परिहास में स्वस्थ जोक्स का विरोधी नहीं हूं।
पर किसी सत्य घटना को जोक बनाने का विरोध करता हूं।