बच्चो आज हम ऐसी कहानी चिड़िया का घोंसला | BIRD’S NEST पढ़ेंगे जिसमे पता चलेगा कि क्या ज्यादा जरुरी है, प्रतियोगिता जितना या किसी की मदद करना। चलिए पढ़ते हैं – moral story, short story in hindi, short moral story in hindi.
चिड़िया का घोंसला | BIRD’S NEST
इस बार गर्मी की छुट्टियों में अन्वी अपनी सहेलियों के साथ खेलने के बजाय सारा दिन पार्क में बैठी छोटे-छोटे पक्षियों को घोंसला बनाते देखती रहती ।
पार्क में तरह-तरह के पक्षी आते थे – गौरैया, कबूतर, कठफोड़वा, लवा और बुलबुल ।
अन्वी किसी भी पक्षी को देखते ही पहचान जाती थी, क्योंकि उस की मैम ने उसे सभी पक्षियों के सुंदर चित्र दिखाए थे और कहा था कि इन छुट्टियों में तुम सब पक्षियों की आदतें गौर से देखना और गरमी की छुट्टियों के बाद जब स्कूल खुलेगा तब तुम सब को पक्षियों पर एक लेख लिखने के लिए दिया जाएगा ।
सब से अच्छे लेख पर जो किताब इनाम में दी जाने वाली थी, वह भी बच्चों को दिखाई गई थी ।
मैम ने उम्हें जानवरों और पक्षियों की कहानियों वाली उस किताब के रंगीन चित्र भी दिखाए थे और कहानियां भी पढ़ कर सुनाई थी ।
अन्वी को वह किताब इतनी पसंद आई थी कि उस ने मन ही मन यह निश्चय कर लिया था कि जैसे भी हो वह इस किताब को पाने के लिए मेहनत करेगी। और इसलिए अन्वी अपनी छुट्टियां खेलने के बजाय पार्क में बैठ कर पक्षियों की आदतों को जानने में गुजार रही थी ।
डॉक्टर छमिया लोमड़ी |DOCTOR FOX
अन्वी देखती कि पक्षी अपना घोंसला बनाने के लिए कितने धैर्य से छांटछांट कर पुरानी सुतली, घास, पत्तियां और घोंसले को आरामदेह बनाने के लिए पंख आदि जमा करते हैं ।
अन्वी का जी चाहता, कितना अच्छा होता कि मैं भी इन पक्षियों की कुछ मदद कर सकती ।
अचानक अन्वी को एक खयाल आया । इन दिनों ज्यादातर पक्षियों ने अपने घोंसले बना लिए थे, फिर भी कुछ पक्षी ऐसे थे जिन के घोंसले अभी तक तैयार नहीं हुए थे ।
कुछ शरारती बच्चों ने पत्थर मार कर इन के घोंसले नष्ट कर दिए थे । अन्वी ने उन्हें गुस्सा कर रोकना चाहा ।
अन्वी ने सोचा-क्यों न मैं अपने हाथों से एक घोंसला बना कर बगीचे के किसी पेड़ पर लटका दूं ।
हो सकता है कोई पक्षी वहां रहने आ जाए, आह, कितना अच्छा लगेगा जब पक्षी वहां अंडे देंगे और कुछ दिनों में घोंसला छोटे-छोटे पक्षियों से भर जाएगा। पक्षियों की चहचहाहट से मेरे बगीचे में रौनक आ जाएगी, यह सोच कर अन्वी बहुत खुश हुई।
अब तो अन्वी को अपने आप गुस्सा आ रहा था कि इतनी अच्छी बात उसे पहले क्यों नहीं सूझी ? कुछ मिनटों का ही तो काम होगा और बस घोंसला तैयार हो जायेगा । पक्षियों के चोंच से बने घोंसलों के मुकाबले मेरा यह घोंसला ज्यादा सफाई से बना हुआ होगा, अन्वी ने सोचा ।
अगले दिन अन्वी की मां यह देख कर बड़ी हैरान हुई कि अन्वी सारा दिन तिनके, कागज आदि ही बुनती रही ।
घोंसला को टिकाने के लिए अन्वी ने बांस की कुछ तीलियां भी लगाई थी । अब वे तीलियां टिक नहीं रही थी ।
बेचारी अन्वी ने धागे की पूरी रील लगा दी ।
तब कहीं जा कर घोंसला इधर-उधर से बंध कर तैयार हुआ, पर घोंसला अजीब ऊबड़खाबड़ सा बना था ।
यह तो पक्षियों को बहुत चुभेगा, यह सोच कर अन्वी मां के पास गई और बोली, मां, यह घोंसला अंदर से कितना सख्त है, इसे जरा नरम बना दो न।
मां ने एक छोटी कटोरी ली और घोंसले के अंदर उसे गोलमोल घुमा कर काफी हद तक उसे आरामदेह बना दिया। ऊबड़खाबड़ तिनके और कागज बैठ गए थे |
कहां तो अन्वी ने सोचा था कि घोंसला बनाना तो कुछ मिनटों का ही काम है और कहां सारी शाम घोंसला बनाते- बनाते गुजर गई ।
चिड़ियाँ चोंच से घोंसला बनाती हैं, पर कितने सलीके और सफाई से बनाती हैं । हाथों से तो कभी ऐसे घोंसला बनाए ही नहीं जा सकते ।
सुबह अन्वी ने बड़ी शान से वह घोंसला बगीचे के एक पेड़ पर लटका दिया और खुद कुछ दूरी पर खड़ी इंतजार करती रही कि कोई पक्षी आ कर उसे अपना घर बना ले।
पर जब काफी समय गुजर गया और कोई पक्षी न आया तो अन्वी को बड़ी निराशा हुई। अचानक उस ने देखा लवा पक्षियों के एक जोड़े ने, जो घोंसला के ऊपर मंडरा रहा था, चोंच मारमार कर घोंसला तोड़फोड़ डाला ।
‘शैतान, पक्षी ‘ गुस्से से अन्वी बड़बड़ाई ।
अन्वी की आवाज सुनकर उसकी मां वहां आ गई ।
मां, देखो न, उन्हें मेरा घोंसला पसंद नहीं आया, अन्वी ने सुबकते हुए कहा ।
मां भी वहीं खड़ी हो कर पक्षियों की हरकतें देखने लंगी ।
अचानक मां जोर से हंस पड़ी, देखो अन्वी, ये पक्षी पहले घोंसले से तिनके चुनचुन कर एक नया घोंसला तैयार कर रहे हैं। हो सकता है ये लोग और किसी के बनाए घोंसलों में रहना पसंद न करते हों । मां, मैं जो स्कूल में लेख लिखूंगी न, उस में यह बात भी जरूर लिखूंगी, अन्वी बोली ।
अन्वी, पक्षियों ने घोंसला चाहे जिस कारण तोड़ा हो, पर वे तुम्हारा बड़ा एहसान मान रहे होंगे कि तुम ने घोंसला बनाने का सारा सामान एक जगह जमा कर रखा है, मां ने कहा ।
अन्वी सारा दिन बगीचे में बैठी लवा पक्षियों को काम में जुटे देखती रहती । अन्वी की मौजूदगी का पक्षी भी बुरा नहीं मानते थे । शायद उन्हें पता था कि वह उन की मित्र है ।
जल्दी ही घोंसला छोटे-छोटे लवा पक्षियों से भर गया । इसी बीच अन्वी को लवा पक्षी की एक और दिलचस्प आदत का पता चला ।
GOLDEN TOUCH OF THE KING IN HINDI
आमतौर पर पक्षी उड़ते हुए आते हैं और सीधे अपने घोंसले पर ही उतरते हैं, पर लवा कभी ऐसा नहीं करती। वह हमेशा अपने घोंसले से थोड़ी दूरी पर उतरती है और फिर फुदकफुदक कर और थोड़ा इधर-उधर पता चले । घूम कर अपने घोंसले में जाती है । शायद वह नहीं चाहती कि किसी को उसी के घोंसले की जगह पता चले ।
छुट्टियों के बाद जब लेख प्रतियोगिता हुई तो अन्वी को प्रथम पुरस्कार मिला । इनाम वाली किताब हाथ में पकड़े अन्वी अपनी सहेलियों को बता रही थी, तुम्हें पता है, मैं ने एक नहीं दो इनाम जीते हैं । एक तो यह किताब और दूसरा अपने बगीचे में छोटे-छोटे लवा पक्षियों से भरा घोंसला ।
कहानी की सीख – Moral of the story
कोई प्रतियोगिता जीतने से ज्यादा, दूसरों की मदद कर के खुशी मिलती है । “
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In addition, I had a wonderful time with that. In spite of the fact that both the narration and the images are of a very high level, you realise that you are anxiously expecting what will happen next. Regardless of whether you choose to defend this stroll or not, it will be essentially the same every time.